Durga Puja 2025: दुर्गा पूजा के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा विधि
March 30, 2025 2025-03-31 2:15Durga Puja 2025: दुर्गा पूजा के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा विधि
Durga Puja 2025: दुर्गा पूजा के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा विधि
Durga Puja 2025: दुर्गा पूजा 2025 हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो देवी दुर्गा की पूजा अर्चना के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें देवी की भव्य प्रतिमाओं की पूजा, नृत्य, संगीत और भव्य भोज का आयोजन होता है। दुर्गा पूजा का आयोजन नवरात्रि के अंतिम दिन होता है, जब देवी दुर्गा की विजय और राक्षसों पर उनकी सत्ता की विजय का उत्सव मनाया जाता है।

#Durga Puja 2025 का आरंभ महालया से होगा, जो 26 सितंबर 2025 (शुक्रवार) को है। इसके बाद मुख्य पूजा शारदीय नवरात्रि के दौरान होगी और महाअष्टमी 2 अक्टूबर तथा महानवमी 3 अक्टूबर को मनाई जाएगी। विजयादशमी (दशहरा) 4 अक्टूबर 2025 को है।
यह पर्व विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओडिशा और उत्तर भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा का महत्व
दुर्गा पूजा माँ दुर्गा के महिषासुर पर विजय की स्मृति में मनाई जाती है। यह अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व नारी शक्ति, संस्कार और भक्ति का उत्सव है।
माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना के साथ इस पर्व में नृत्य, संगीत, पूजा-पाठ और पंडाल सजावट प्रमुख होती है।
Durga Puja 2025 की मुख्य तिथियां
तिथि | दिन | उत्सव / पूजा |
---|---|---|
26 सितंबर | शुक्रवार | महालया |
30 सितंबर | मंगलवार | षष्ठी (कलश स्थापना) |
1 अक्टूबर | बुधवार | सप्तमी |
2 अक्टूबर | गुरुवार | महाअष्टमी |
3 अक्टूबर | शुक्रवार | महानवमी |
4 अक्टूबर | शनिवार | विजयादशमी (दशहरा) |
महालया से होती है शुभ शुरुआत
महालया के दिन देवी दुर्गा को धरती पर बुलाने की परंपरा है।
इस दिन से पितृ पक्ष समाप्त होता है और देवी पक्ष आरंभ होता है। महालया पर विशेष मंत्रोच्चारण और तर्पण किया जाता है।
दुर्गा पूजा की विधि
कलश स्थापना और प्रतिमा प्रवेश
षष्ठी तिथि को कलश स्थापना की जाती है।
मिट्टी की बनी माँ दुर्गा की मूर्ति को घर या पंडाल में स्थापित किया जाता है।
धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प और सिंदूर से माँ का श्रृंगार होता है।
सप्तमी, अष्टमी, नवमी की पूजा
सप्तमी से पूजा का आरंभ होता है, जिसमें नौ पौधों (नवपत्रिका) का स्नान कराकर स्थापना की जाती है।
महाअष्टमी को खास महत्व प्राप्त है। इस दिन कन्या पूजन और संधिपूजा होती है।
महानवमी के दिन भव्य आरती और हवन किया जाता है।
विजयादशमी – मूर्ति विसर्जन का दिन
विजयादशमी के दिन माँ दुर्गा की मूर्ति को गाजे-बाजे के साथ विसर्जित किया जाता है।
यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
लोग एक-दूसरे को “शुभ विजयादशमी” कहकर गले मिलते हैं और मिठाई बांटते हैं।
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की विशेषता
कोलकाता और पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा एक भव्य सांस्कृतिक आयोजन बन गया है।
यहाँ के पंडाल अपनी कलात्मकता, थीम डेकोरेशन और सामाजिक संदेशों के लिए प्रसिद्ध होते हैं। हजारों लोग एक साथ पूजा पंडालों में दर्शन करते हैं।
दुर्गा पूजा में क्या करें और क्या न करें
करें:
- माँ दुर्गा के मंत्रों का जाप करें
- रोज़ सुबह-शाम आरती करें
- स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें
- जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें
- सच्चे मन से व्रत और पूजा करें
न करें:
- झूठ, क्रोध और अपवित्र विचारों से बचें
- पूजा स्थल पर शोरगुल न करें
- माँ दुर्गा की मूर्ति को अपमानित न करें
- पंडालों में गंदगी या अपवित्रता न फैलाएं
दुर्गा पूजा के मंत्र और स्तुति
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥”
“या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
इन मंत्रों का उच्चारण श्रद्धा और भाव से करें, माँ की कृपा अवश्य प्राप्त होगी।
दुर्गा पूजा से जीवन में क्या लाभ होता है?
- आत्मबल और मनोबल में वृद्धि
- बुराइयों से मुक्ति और आध्यात्मिक शांति
- पारिवारिक सुख और समृद्धि
- रोग, भय और दोषों का नाश
- माँ दुर्गा का आशीर्वाद जीवन को उज्ज्वल बनाता है
निष्कर्ष
दुर्गा पूजा 2025 सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक एकता का अद्भुत संगम है।
यह वह समय है जब पूरा वातावरण शक्ति और उत्साह से भर जाता है। आइए, इस वर्ष माँ दुर्गा की आराधना से अपने जीवन को पवित्र और मंगलमय बनाएं।
जय माता दी! 🌺🌼🙏