Radha Ashtami 2025: कैसे करें राधा जी की पूजा? जानिए घर पर व्रत और आरती करने की संपूर्ण विधि
April 5, 2025 2025-04-05 4:52Radha Ashtami 2025: कैसे करें राधा जी की पूजा? जानिए घर पर व्रत और आरती करने की संपूर्ण विधि
Radha Ashtami 2025: कैसे करें राधा जी की पूजा? जानिए घर पर व्रत और आरती करने की संपूर्ण विधि
Radha Ashtami 2025 : राधा अष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय राधा रानी के जन्मोत्सव का पर्व है। यह उत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन राधा-कृष्ण की संयुक्त पूजा का विशेष महत्व होता है। राधा रानी को प्रेम, भक्ति और आत्मसमर्पण की प्रतीक माना जाता है।
राधा अष्टमी का पर्व ब्रज, मथुरा, वृंदावन और गोकुल में बहुत ही भव्य तरीके से मनाया जाता है।
आइए जानते हैं राधा अष्टमी 2025 की तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसका आध्यात्मिक महत्व।

📅 राधा अष्टमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
राधा अष्टमी 2025 की तिथि:
- तारीख – 31 August 2025 (रविवार)
- अष्टमी तिथि प्रारंभ – 30 August 2025, शाम 04:58 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त – 31 August 2025, शाम 06:03 बजे
शुभ मुहूर्त:
- पूजा का सर्वोत्तम समय – 2 सितंबर 2025, प्रातः 10:30 से दोपहर 12:00 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त – 11:55 बजे से 12:45 बजे तक
- चंद्र दर्शन मुहूर्त – रात्रि 08:00 बजे के बाद
👉 इस दिन उपवास और विशेष पूजा-अर्चना से जीवन में प्रेम, भक्ति और सौभाग्य का संचार होता है।
🚩 राधा अष्टमी का महत्व
राधा रानी कौन थीं?
राधा रानी को भगवान श्रीकृष्ण की परम प्रेमिका और भक्ति की देवी माना जाता है।
पुराणों के अनुसार, राधा जी का जन्म वृषभानु जी के घर हुआ था और वे भगवान श्रीकृष्ण की आत्मा का अंश मानी जाती हैं।
धार्मिक मान्यता
- भगवान श्रीकृष्ण के बिना राधा अधूरी हैं और राधा के बिना श्रीकृष्ण। इसलिए इस दिन राधा-कृष्ण के नाम का जप करना विशेष फलदायी होता है।
- भक्तों का विश्वास है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से प्रेम संबंधों में मधुरता आती है।
- सच्चे हृदय से राधा जी की आराधना करने पर मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
- इस दिन गोपियों और राधा-कृष्ण के प्रेम की गाथाएँ सुनना और भजन-कीर्तन करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।
राधा अष्टमी व्रत और पूजन विधि
प्रातःकाल की तैयारी
- प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- राधा-कृष्ण की मूर्ति या चित्र को एक पवित्र स्थान पर रखें।
- व्रत और पूजा का संकल्प लें।
पूजा विधि
- राधा रानी का अभिषेक दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से करें।
- राधा-कृष्ण को लाल वस्त्र और आभूषण अर्पित करें।
- फूलों की माला, तुलसी पत्ते और इत्र अर्पित करें।
- राधा चालीसा और श्रीकृष्ण अष्टकम का पाठ करें।
- गोपियों के प्रेम की गाथाएँ और राधा-कृष्ण की लीलाएँ सुनें।
भोग और आरती
- माखन-मिश्री, पंचामृत और फलों का भोग लगाएँ।
- राधा-कृष्ण की संध्या आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
- जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
राधा अष्टमी पर क्या खाएँ और क्या न खाएँ?
क्या खाएँ?
- फलाहार – फल, दूध, मखाना
- साबूदाना खिचड़ी, कुट्टू आटे की पूड़ी
- मूंगफली और गुड़
क्या न खाएँ?
- लहसुन-प्याज
- तामसिक भोजन
- मांसाहार और शराब
राधा अष्टमी पर शुभ संदेश और शुभकामनाएँ
🌸 “राधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी, कृष्णा नाम के रस में तन-मन डुबो दो प्यारे!” 🌸
🌺 “राधा नाम की महिमा अपरंपार, उनके बिना अधूरे नंदलाल। राधा अष्टमी की शुभकामनाएँ!” 🌺
🚩 “राधे-राधे बोलो, प्रेम से मन को जोड़ो। जीवन में सुख-समृद्धि आए, राधा अष्टमी मंगलमय हो!” 🚩
निष्कर्ष
राधा अष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की प्रियतम राधा रानी के जन्मोत्सव का शुभ पर्व है। इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करने से प्रेम,
भक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
यदि आप भी इस शुभ अवसर पर राधा जी की आराधना करते हैं, तो भगवान श्रीकृष्ण की कृपा भी आप पर बनी रहेगी।
🚩 राधे-राधे! जय श्रीकृष्ण! 🚩