Vaikunta Ekadasi 2025: वैकुंठ के द्वार खुलने का पावन अवसर, जानिए व्रत की विधि, कथा और शुभ मुहूर्त
April 5, 2025 2025-04-05 4:55Vaikunta Ekadasi 2025: वैकुंठ के द्वार खुलने का पावन अवसर, जानिए व्रत की विधि, कथा और शुभ मुहूर्त
Vaikunta Ekadasi 2025: वैकुंठ के द्वार खुलने का पावन अवसर, जानिए व्रत की विधि, कथा और शुभ मुहूर्त
Vaikunta Ekadasi 2025: वैकुंठ एकादशी, हिंदू धर्म में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत है, जिसे विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह दिन भक्तों के लिए एक अवसर होता है, जब वे अपनी सांसारिक परेशानियों से मुक्त होकर भगवान के आशीर्वाद से मोक्ष की प्राप्ति का प्रयास करते हैं। वैकुंठ एकादशी के दिन भगवान विष्णु के द्वार (वैकुंठ) खुलते हैं, और माना जाता है कि इस दिन की पूजा से समस्त पापों का नाश होता है। 2025 में यह विशेष पर्व 31 दिसंबर को मनाया जाएगा। इस लेख में हम जानेंगे वैकुंठ एकादशी 2025 के महत्व, तिथि और पूजा विधि के बारे में विस्तार से।

वैकुंठ एकादशी का महत्व
#वैकुंठ एकादशी का महत्व अत्यधिक है,
और यह विशेष रूप से भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित है।
हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के द्वार खुले रहते हैं
और जो भक्त सच्चे मन से इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान विष्णु के दर्शन होते हैं
और वह अपने समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु के चरणों में श्रद्धा और भक्ति रखने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है
और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग में मदद मिलती है।
यह दिन भक्तों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है
क्योंकि इस दिन की पूजा से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है।
Vaikunta Ekadasi 2025 की तिथि
#वैकुंठ एकादशी 2025 में 29 दिसंबर को मनाई जाएगी।
इस दिन को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह होता है।
इस दिन को लेकर मान्यता है कि जो
व्यक्ति इस दिन विशेष रूप से उपवासी रहकर पूजा-अर्चना करता है,
उसके जीवन में हर तरह के सुख-समृद्धि का वास होता है।
इसके अतिरिक्त, इस दिन का व्रत रखने से पुण्य और धर्म का फल प्राप्त होता है, जो जीवन को सुखमय बनाता है।
पूजा विधि
वैकुंठ एकादशी की पूजा विधि बेहद सरल लेकिन पवित्र है। इस दिन भगवान विष्णु के चरणों में श्रद्धा से व्रत रखा जाता है।
व्रति को पूरे दिन उपवासी रहना चाहिए और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
सबसे पहले प्रातः समय में स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक लगाएं।
इसके बाद भगवान विष्णु के 108 नामों का जाप करें। इस दिन विशेष रूप से ‘विष्णु सहस्रनाम’ का पाठ करने से विशेष फल मिलता है। इस दिन
भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ भी लाभकारी होता है।
इस दिन घर के मंदिर में विशेष पूजा की जाती है और भगवान विष्णु की अराधना में पूरा दिन बिताया जाता है।
भगवान के साथ-साथ इस दिन लक्ष्मी माता और उनके वाहन गरुड़ की भी पूजा की जाती है।
पूजा के दौरान विशेष रूप से 108 दीपकों का प्रज्वलन करें,
क्योंकि यह दीपक विष्णु भगवान के पवित्रता और शक्ति का प्रतीक होते हैं।
पूजा के बाद व्रति को पारण (व्रत समाप्ति) के समय अन्न और जल का सेवन करना चाहिए।
वैकुंठ एकादशी के व्रत का महत्व
वैकुंठ एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है,
बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में एक नया मोड़ भी ला सकता है।
इस व्रत के पालन से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और वह अपने जीवन के पापों से मुक्ति प्राप्त करता है।
कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है,
जो जीवन को सुख, समृद्धि और शांति से भर देती है।
विशेष रूप से यह व्रत उन लोगों के लिए है, जो अपने जीवन में कोई बड़ा बदलाव चाहते हैं या जिन्हें पापों से मुक्ति चाहिए।
इसके अतिरिक्त, इस व्रत को रखने से भक्तों को मानसिक शांति मिलती है और उनके जीवन के कठिनाईयों का निवारण होता है।
यह व्रत व्यक्ति के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति में सुधार लाने के लिए भी प्रभावी माना जाता है।
वैकुंठ एकादशी के बाद के दिन का महत्व
वैकुंठ एकादशी के बाद का दिन, जिसे द्वादशी कहा जाता है,
भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
द्वादशी के दिन व्रति अपने व्रत का पारण करते हैं और भगवान विष्णु के दर्शन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
इस दिन विशेष रूप से भक्तगण भगवान विष्णु के सामने प्रसाद अर्पित करते हैं और व्रत समाप्ति का जश्न मनाते हैं।
इस दिन का महत्व भी बहुत अधिक है, क्योंकि इस दिन के दौरान की गई पूजा से पुण्य का फल मिलता है
और भक्त अपने जीवन में शांति और समृद्धि महसूस करते हैं।
समापन
वैकुंठ एकादशी एक अत्यधिक पवित्र और महत्वूपर्ण पर्व है,
जो भगवान विष्णु के भक्तों के लिए एक शुभ अवसर होता है।
2025 में यह पर्व 31 दिसंबर को मनाया जाएगा।
इस दिन की पूजा विधि का पालन करके व्यक्ति न केवल पुण्य प्राप्त करता है,
बल्कि अपनी जीवन की समस्याओं से भी मुक्ति पाता है।
वैकुंठ एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने
और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक अत्यधिक प्रभावी तरीका है।
इस दिन की पूजा को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए,
ताकि भगवान विष्णु का आशीर्वाद हमारे जीवन में हमेशा बना रहे।