Gangaur 2025: कैसे मनाएं गणगौर का त्योहार, जानिए लोकगीत, नृत्य और परंपराएं
April 5, 2025 2025-04-05 4:55Gangaur 2025: कैसे मनाएं गणगौर का त्योहार, जानिए लोकगीत, नृत्य और परंपराएं
Gangaur 2025: कैसे मनाएं गणगौर का त्योहार, जानिए लोकगीत, नृत्य और परंपराएं
Gangaur 2025:गणगौर का पर्व भारतीय संस्कृति और परंपराओं में एक विशेष स्थान रखता है।
यह माँ गौरी और भगवान शिव को समर्पित पर्व है,
जिसे विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
यह पर्व सुहागिन महिलाओं के अखंड सौभाग्य और अविवाहित कन्याओं के योग्य वर प्राप्ति की कामना के लिए रखा जाता है।
आइए जानते हैं गणगौर 2025 की तिथि, पूजा विधि, परंपराएँ और इससे जुड़ी मान्यताएँ।

Gangaur 2025 कब है?
गणगौर का पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में गणगौर 31 मार्च, रविवार को पड़ रहा है।
यह पर्व होली के अगले दिन से शुरू होकर 18 दिन तक मनाया जाता है और अंतिम दिन माता गौरी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।
गणगौर पर्व का महत्व
#गणगौर त्योहार को महिला सशक्तिकरण और वैवाहिक जीवन की सुख-शांति से जोड़ा जाता है। इस पर्व का विशेष महत्व है:
- विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
- कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर प्राप्ति के लिए इस पर्व को मनाती हैं।
- यह प्रेम, समर्पण और वैवाहिक जीवन की मिठास को बढ़ाने वाला पर्व माना जाता है।
- राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में इसे स्त्री सम्मान और मातृशक्ति के उत्सव के रूप में भी देखा जाता है।
गणगौर पूजन की विधि
- स्नान और संकल्प
- इस दिन महिलाएं प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं।
- गणगौर माता की स्थापना
- घर में या किसी मंदिर में मिट्टी की गणगौर और ईसर (शिव) की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं।
- इन प्रतिमाओं को सिंदूर, चूड़ी, बिंदी और वस्त्रों से सजाया जाता है।
- मिट्टी के दीपक जलाकर देवी माँ की आराधना की जाती है।
पूजा-अर्चना और भोग
गणगौर माता को कुमकुम, हल्दी, मेंहदी, अक्षत, पुष्प और मिठाई अर्पित की जाती है।
गुड़-चना विशेष रूप से भोग में रखा जाता है।
महिलाएं गणगौर माता के समक्ष मंगल गीत गाती हैं और सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं।
गणगौर विसर्जन
पर्व के अंतिम दिन महिलाएं जलाशय या नदी में गणगौर माता की प्रतिमा का विसर्जन करती हैं।
इस दौरान वे गणगौर के लोकगीत गाती हैं और नृत्य करती हैं।
गणगौर से जुड़ी लोक परंपराएँ
#गणगौर केवल पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि इसमें कई लोक परंपराएँ भी जुड़ी हुई हैं।
गणगौर माता के लोकगीत
#गणगौर पर्व पर महिलाएं विशेष मांगलिक गीत गाती हैं, जिनमें माता गौरी और शिवजी के मिलन का वर्णन होता है।
एक प्रसिद्ध लोकगीत:
“ईसर आया गणगौर, माता गौरी कर दे भली बहु रा भाल…”
गणगौर का जुलूस
राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, उदयपुर और बीकानेर में गणगौर माता की शोभायात्रा निकाली जाती है।
इसमें ऊंट, हाथी, घोड़े, नृत्य और लोक कलाकारों की झलक देखने को मिलती है।
कुमारी कन्याओं का विशेष व्रत
अविवाहित कन्याएं 16 दिन तक गणगौर माता की पूजा करती हैं और भविष्य में अच्छे पति की कामना करती हैं।
गणगौर पूजन में क्या करें और क्या न करें?
गणगौर व्रत में यह करें:
#गणगौर माता को सिंदूर, मेंहदी और सुहाग की सामग्री चढ़ाएं।
पूजन के बाद गुड़-चना प्रसाद के रूप में वितरित करें।
इस दिन सोलह श्रृंगार करें और लाल रंग के वस्त्र पहनें।
गणगौर व्रत में यह न करें:
नमक और अनाज का सेवन न करें।
पूजा में काले या सफेद वस्त्र न पहनें।
पूजा के दौरान नकारात्मक विचारों से बचें और मन को शुद्ध रखें।
गणगौर 2025 की शुभकामनाएँ और संदेश
गणगौर पर्व के शुभ अवसर पर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएँ भेजें:
🌸 “गणगौर का यह पावन पर्व आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए। माता गौरी की कृपा से आपका दांपत्य जीवन खुशहाल बना रहे।” 🌸
✨ “गणगौर की बधाई! माता गौरी और भगवान शिव का आशीर्वाद आपको सदा प्राप्त हो।” ✨
निष्कर्ष
गणगौर पर्व भारतीय संस्कृति की गहरी आस्था, प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि महिलाओं के सौभाग्य और सुख-समृद्धि का पर्व है।
गणगौर 2025 में इस शुभ दिन को श्रद्धा और भक्ति से मनाएँ और माता गौरी का आशीर्वाद प्राप्त करें।
जय गणगौर माता! 🙏🌸