Shailputri Mata: नवरात्रि में शैलपुत्री माता की पूजा क्यों की जाती है? जानिए इसका महत्व
April 3, 2025 2025-04-03 3:45Shailputri Mata: नवरात्रि में शैलपुत्री माता की पूजा क्यों की जाती है? जानिए इसका महत्व
Shailputri Mata: नवरात्रि में शैलपुत्री माता की पूजा क्यों की जाती है? जानिए इसका महत्व
Shailputri Mata: नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री माता की पूजा की जाती है।
यह देवी हिमालयराज की पुत्री हैं, इसलिए इनका नाम “शैलपुत्री” पड़ा।
यह शक्ति का प्रतीक हैं और भक्तों को शांति, संयम और सफलता प्रदान करती हैं।
माता शैलपुत्री का वाहन नंदी बैल है और इनके एक हाथ में त्रिशूल तथा दूसरे में कमल पुष्प सुशोभित रहता है।

माँ शैलपुत्री की पौराणिक कथा
शैलपुत्री माता का जन्म हिमालयराज के घर में हुआ था। ये पूर्व जन्म में सती थीं,
जिन्होंने अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण यज्ञ अग्नि में आत्मदाह कर लिया था। अगले जन्म में,
ये हिमालयराज के घर पुत्री रूप में अवतरित हुईं और फिर से भगवान शिव की पत्नी बनीं।
शैलपुत्री माता की पूजा विधि
नवरात्रि के पहले दिन भक्त शैलपुत्री माता की आराधना कर अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
पूजा सामग्री:
- लाल या पीले वस्त्र
- गंगाजल, अक्षत, फूल, धूप-दीप
- गाय के घी का दीपक
- सफेद फूल और कमल
- मिष्ठान और पंचामृत
पूजा विधि:
- माँ शैलपुत्री का ध्यान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- कलश स्थापना करें और उसमें गंगाजल भरें।
- माँ को रोली, अक्षत, चंदन और फूल अर्पित करें।
- शैलपुत्री माता का प्रिय भोग – गाय के घी से बनी चीज़ें माता को अर्पित करें।
- शैलपुत्री देवी का मंत्र जाप करें और आरती करें।
शैलपुत्री माता का बीज मंत्र
🔹 “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः”
शैलपुत्री माता का स्तोत्र मंत्र:
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
माँ शैलपुत्री की कृपा से मिलने वाले लाभ
- मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
- जीवन में स्थिरता और सफलता आती है।
- वैवाहिक जीवन में सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
निष्कर्ष
माँ शैलपुत्री शक्ति का प्रथम रूप हैं और नवरात्रि की शुरुआत इन्हीं की पूजा से होती है।
इनकी आराधना से भक्तों को आध्यात्मिक बल, संयम और मन की शुद्धता प्राप्त होती है।
यदि श्रद्धा और भक्ति से माँ की पूजा की जाए, तो उनका आशीर्वाद निश्चित रूप से प्राप्त होता है।