Makar Sankranti Essay in Hindi – त्योहार की पूरी जानकारी
January 3, 2025 2025-01-03 6:03Makar Sankranti Essay in Hindi – त्योहार की पूरी जानकारी
Makar Sankranti Essay in Hindi – त्योहार की पूरी जानकारी
Makar Sankranti Essay in Hindi: जानिए त्योहार का महत्व, इतिहास, परंपराएं और क्यों इसे पूरे देश में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

मकर संक्रांति पर विस्तृत निबंध
मकर संक्रांति भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।
यह त्योहार सूर्य देव की उपासना, ऋतु परिवर्तन और फसलों की कटाई से जुड़ा हुआ है।
मकर संक्रांति हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।
इसे पूरे देश में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
मकर संक्रांति का नाम सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से जुड़ा हुआ है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव के घर जाते हैं,
जो मकर राशि के स्वामी हैं। इस मिलन को शुभ और पवित्र माना जाता है।
इस दिन गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा और कावेरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है।
ऐसा माना जाता है कि इन नदियों में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाभारत के अनुसार, भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही दिन चुना था क्योंकि इसे देवताओं का दिन माना जाता है।
इस दिन को शुभ काल के रूप में देखा जाता है,
जिसमें कोई भी नया कार्य प्रारंभ करना लाभकारी होता है।
मकर संक्रांति का सांस्कृतिक महत्व
मकर संक्रांति पूरे भारत में अलग-अलग परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाई जाती है।
उत्तर भारत:
उत्तर भारत में इसे “खिचड़ी पर्व” कहा जाता है।
इस दिन खिचड़ी बनाना और तिल-गुड़ का सेवन करना विशेष होता है।
पतंग उड़ाने का भी इस दिन विशेष महत्व है।
बच्चे और युवा आसमान में पतंग उड़ाकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं।
गुजरात:
गुजरात में मकर संक्रांति को “उत्तरायण” कहा जाता है।
यहां पतंगबाजी एक प्रमुख आकर्षण है।
पूरे राज्य में पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र में मकर संक्रांति के अवसर पर महिलाएं हल्दी-कुमकुम का आयोजन करती हैं
और एक-दूसरे को तिल-गुड़ देकर कहती हैं,
“तिल गुड़ घ्या, गोड़ गोड़ बोला,” जिसका अर्थ है मीठा बोलो और रिश्तों में मिठास लाओ।
पश्चिम बंगाल:
यहां गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है,
जहां लाखों श्रद्धालु गंगा और सागर के संगम पर स्नान करते हैं।
दक्षिण भारत:
दक्षिण भारत में मकर संक्रांति को “पोंगल” के रूप में मनाया जाता है।
यह फसलों की कटाई का त्योहार है।
किसान इस दिन अपनी अच्छी फसल के लिए भगवान सूर्य और धरती माता का धन्यवाद करते हैं।
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व
मकर संक्रांति का केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है।
यह त्योहार सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है।
उत्तरायण का अर्थ है सूर्य का दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बढ़ना।
इस समय पृथ्वी पर दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं।
यह समय स्वास्थ्य और ऊर्जा के दृष्टिकोण से भी लाभकारी माना जाता है।
सूर्य के उत्तरायण होने से वातावरण में गर्मी बढ़ने लगती है,
जिससे सर्दियों के कठोर प्रभाव कम हो जाते हैं।
इस दिन तिल और गुड़ का सेवन करने का भी वैज्ञानिक कारण है।
तिल शरीर को गर्म रखने में मदद करता है और गुड़ पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है।
दान और पुण्य का महत्व
मकर संक्रांति को दान-पुण्य का त्योहार भी कहा जाता है।
इस दिन जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र और धन दान करना शुभ माना जाता है।
तिल, गुड़, चावल और खिचड़ी का दान विशेष रूप से किया जाता है। ऐसा माना जाता है
कि इस दिन किया गया दान कई गुना फलदायी होता है।
मकर संक्रांति का उत्सव और मनोरंजन
मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा सबसे आकर्षक होती है।
आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है।
लोग “काय पो छे” और “आई बॉस” जैसे उत्साहवर्धक शब्दों से एक-दूसरे को चुनौती देते हैं।
इसके अलावा, पारंपरिक नृत्य, संगीत और मेलों का भी आयोजन किया जाता है।
निष्कर्ष
मकर संक्रांति केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
यह त्योहार हमें दान, स्नेह और सद्भावना का संदेश देता है।
मकर संक्रांति का दिन नई शुरुआत, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है।
यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में मिठास और एकता बनाए रखने के लिए हमें परंपराओं और रिश्तों का सम्मान करना चाहिए।
इस प्रकार, मकर संक्रांति का पर्व हमारी संस्कृति और समाज को जोड़ने का माध्यम है।
आइए, इस पवित्र त्योहार को पूरे उत्साह और प्रेम के साथ मनाएं।