Janmashtami 2025: श्री कृष्ण के जन्म का महत्व और इस दिन को सही तरीके से मनाने की पूरी जानकारी
April 5, 2025 2025-04-05 4:49Janmashtami 2025: श्री कृष्ण के जन्म का महत्व और इस दिन को सही तरीके से मनाने की पूरी जानकारी
Janmashtami 2025: श्री कृष्ण के जन्म का महत्व और इस दिन को सही तरीके से मनाने की पूरी जानकारी
Janmashtami 2025: जन्माष्टमी 2025, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाएगी। यह हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है,
जिसे पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं,
भजन-कीर्तन करते हैं और आधी रात को श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाते हैं।
इस वर्ष जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।

जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व
भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। वे दुष्टों का संहार करने और धर्म की पुनः स्थापना करने के लिए अवतरित हुए थे।
जन्माष्टमी पर श्रद्धालु श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं। इस दिन गीता के उपदेश भी विशेष रूप से याद किए जाते हैं।
कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी?
व्रत और उपवास
भक्तजन दिनभर निर्जला व्रत रखते हैं और रात को श्रीकृष्ण के जन्म के बाद फलाहार करते हैं।
व्रत में साबूदाना खिचड़ी, फल, और दूध से बने पदार्थ खाए जाते हैं।
झूला सजाना और कृष्ण लीलाएं
कई स्थानों पर झांकियां निकाली जाती हैं, जिसमें श्रीकृष्ण की लीलाओं का प्रदर्शन किया जाता है।
मंदिरों में झूले सजाए जाते हैं और बाल गोपाल को झूला झुलाया जाता है।
मटकी फोड़ प्रतियोगिता
महाराष्ट्र में दही हांडी उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
इसमें युवा गोविंदा समूह बनाकर ऊँचाई पर लटकी मटकी फोड़ते हैं। यह परंपरा श्रीकृष्ण की माखन चोरी की लीलाओं से प्रेरित है।
भजन-कीर्तन और जागरण
मंदिरों और घरों में भजन-कीर्तन होते हैं। लोग पूरी रात जागकर श्रीकृष्ण के जन्म का इंतजार करते हैं।
ठीक रात 12 बजे कृष्ण जन्म का उत्सव मनाया जाता है।
जन्माष्टमी की पूजा विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।
- माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
- श्रीकृष्ण की आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
- रात्रि 12 बजे जन्मोत्सव मनाएं और प्रसाद वितरित करें।
जन्माष्टमी पर क्या करें और क्या न करें?
क्या करें:
- व्रत और उपवास रखें।
- श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करें।
- जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
क्या न करें:
- नकारात्मक विचारों से बचें।
- मांसाहार और नशे से दूर रहें।
- झूठ बोलने से बचें।
निष्कर्ष
जन्माष्टमी सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि अध्यात्म और भक्ति का संगम है।
इस दिन भक्तजन श्रीकृष्ण की लीलाओं को याद कर उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
जन्माष्टमी 2025 को पूरे हर्षोल्लास से मनाएं और श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो जाएं।
❤️ “राधे-राधे! जय श्रीकृष्ण!” ❤️