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प्रयागराज माघ मेला विवाद ठेका विवाद पर संत समाज का अल्टीमेटम, सरकार को खुली चेतावनी

On: October 23, 2025 10:38 AM
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प्रयागराज माघ मेला विवाद

प्रयागराज माघ मेला विवाद प्रयागराज में माघ मेला 2026 को लेकर संतों ने ठेका विवाद में सरकार को कड़ी चेतावनी दी है। साधु-संतों का कहना है कि केवल सनातन धर्म के अनुयायियों को ही मेले में ठेका दिया जाए, अन्यथा वे व्यापक विरोध करने को तैयार हैं।

प्रयागराज माघ मेला विवाद प्रशासन की भूमिका और विवाद का समाधान

#प्रयागराज माघ मेले में ठेका विवाद के चलते प्रशासन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। प्रशासन न केवल मेला की सुचारू रूप से व्यवस्था करने का काम करता है, बल्कि ऐसे विवादों को सुलझाने में भी मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। इस विवाद में प्रशासन ने संत समाज की भावनाओं को समझते हुए शांति बनाए रखने और विवाद को बढ़ने से रोकने के लिए पहल की है।

माघ मेला 2026 की तैयारियाँ और ठेका विवाद की शुरुआत

प्रयागराज माघ मेला विवाद
#प्रयागराज माघ मेला विवाद

प्रयागराज में जनवरी 2026 में माघ मेले की तैयारियाँ जोरों पर हैं। साधु-संतों ने मांग की है कि केवल सनातन धर्म के अनुयायियों को ठेके दिए जाएं। उनका कहना है कि गैर सनातनी ठेकेदारों को अनुमति मिली तो वे विरोध करेंगे।

संत समाज की कड़ी चेतावनी और धार्मिक पवित्रता

संतों ने कहा कि माघ मेला धार्मिक पवित्रता का महापर्व है, जिसमें सेवा व समर्पण आवश्यक है। गैर सनातनी ठेकेदारों की उपस्थिति से यह पवित्रता प्रभावित होती है, इसलिए उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर चर्चा

माघ मेला सनातन धर्म का प्रमुख धार्मिक आयोजन है। इसकी धार्मिक एवं सांस्कृतिक पवित्रता बनाए रखने के लिए ठेका प्रक्रिया में समुदाय की भावनाओं का सम्मान आवश्यक है।

ठेका विवाद से जुड़े सामाजिक तनाव

गैर सनातनी ठेकेदारों को लेकर विवाद सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा बनता जा रहा है।

प्रशासन पर दबाव है कि वे विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएं।

प्रशासन की भूमिका और बजट स्वीकृति

माघ मेला के लिए 42 करोड़ रुपये का बजट मंजूर हुआ है।

प्रशासन ने ठेका विवाद को सुलझाने और मेला प्रबंधन को

सफल बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया है।

प्रमुख स्नान पर्व और आयोजन की तिथियां

माघ मेला 3 जनवरी से 15 फरवरी 2026 तक होगा,

जिसमें छह प्रमुख स्नान पर्व होंगे जैसे पौष पूर्णिमा,

मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि।

संत समाज और प्रशासन के बीच संवाद का महत्व

संवाद से ही ठेका विवाद का समाधान संभव है। संत समाज और प्रशासन के

बीच मिलने-जुलने से शांतिपूर्ण मेला सुनिश्चित किया जा सकता है।

इसके लिए दोनों पक्षों को साथ आने की जरूरत है।

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