Srikalahasti Temple: श्रीकालहस्ती मंदिर, आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर राहु-केतु दोष निवारण पूजा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है और पंचभूत लिंगों में से एक वायु लिंग का प्रतिनिधित्व करता है। स्वर्णमुखी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर अपनी भव्य स्थापत्य कला और आध्यात्मिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। श्रीकालहस्ती मंदिर दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में गिना जाता है।

श्रीकालहस्ती मंदिर: शिवभक्तों का पवित्र धाम
श्रीकालहस्ती मंदिर का महत्व
#श्रीकालहस्ती मंदिर भारत के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है।
यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। मंदिर विशेष रूप से राहु-केतु दोष निवारण पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
इस पवित्र स्थल को ‘दक्षिण का काशी’ भी कहा जाता है।
मंदिर की पौराणिक कथा
इस मंदिर का नाम तीन भक्तों – श्री (मकड़ी), काल (साँप) और हस्ति (हाथी) के नाम पर पड़ा।
इन तीनों ने शिव भक्ति में लीन होकर इस स्थान को पवित्र बनाया।
मान्यता है कि भगवान शिव ने इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं शिवलिंग रूप में प्रकट हुए।
श्रीकालहस्ती मंदिर की वास्तुकला
यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
मुख्य गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है।
मंदिर में भव्य गोपुरम (मुख्य द्वार), विशाल स्तंभ और मनमोहक नक्काशी देखने को मिलती है।
राहु-केतु दोष निवारण पूजा
यह मंदिर विशेष रूप से राहु और केतु ग्रहों से जुड़े दोषों को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है।
हर दिन हजारों श्रद्धालु इस दोष निवारण पूजा के लिए यहाँ आते हैं।
राहु-केतु पूजा करने का सही समय
अमावस्या और पूर्णिमा के दिन विशेष पूजा होती है।
प्रातः 6:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक यह पूजा करवाई जाती है।
इस पूजा को करने से कुंडली में मौजूद ग्रह दोष कम होते हैं।
कैसे पहुँचे श्रीकालहस्ती मंदिर?
हवाई मार्ग:
निकटतम हवाई अड्डा तिरुपति एयरपोर्ट है, जो यहाँ से 25 किमी दूर है।
रेल मार्ग:
श्रीकालहस्ती रेलवे स्टेशन मुख्य शहर से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग:
मंदिर तिरुपति से मात्र 36 किमी दूर है और सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
मंदिर के आसपास दर्शनीय स्थल
- तिरुपति बालाजी मंदिर – यह स्थान बालाजी भगवान के दर्शन के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
- कनिपक्कम गणपति मंदिर – यह गणपति भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।
- स्वर्णमुखी नदी – यह मंदिर के समीप बहने वाली पवित्र नदी है।
महाशिवरात्रि का भव्य उत्सव
महाशिवरात्रि के दिन यहाँ विशाल उत्सव मनाया जाता है।
इस दिन लाखों श्रद्धालु शिवलिंग का अभिषेक और विशेष पूजन करने आते हैं।
श्रीकालहस्ती यात्रा के लिए टिप्स
मंदिर में पारंपरिक परिधान पहनकर जाएँ।
पूजा का सही समय सुबह जल्दी या शाम को होता है।
भीड़ से बचने के लिए सप्ताह के मध्य में दर्शन करना बेहतर होता है।
प्रसाद और फूल बाहर के दुकानों से ही खरीदें।
निष्कर्ष
श्रीकालहस्ती मंदिर एक आध्यात्मिक स्थल है, जहाँ शिवभक्तों को दिव्य अनुभूति होती है।
यहाँ की पूजा और वातावरण श्रद्धालुओं को अद्भुत शांति प्रदान करता है।
यदि आप राहु-केतु दोष से पीड़ित हैं या भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस मंदिर के दर्शन अवश्य करें।