जिन्दगी खुद को ढुंढने में नही बल्कि जिन्दगी तो खुद को बनाने में है।”

दुनिया का बस यही उसूल है कि, जब तक काम है तब तक ही नाम है, बाकी दूर से ही सलाम है।

प्रसन्नता परमात्मा की दी हुई औषधी है।

दुर्जनों के साथ भलाई करना सज्जनों के साथ बुराई करने के समान है।