एक तू और एक तेरी मोहब्बत इन दो लब्जो में है दुनिया मेरी

तुम्हें कभी पूरा लिखूँ कभी अधूरा लिखूँ मैं रातों में बैठकर तुम्हें सवेरा लिखू़ँ मैं जब भी लिखूँ बस इतना लिखूँ मुझे तेरा और तुझे मेरा लिखूँ

तेरे इश्क ने देखो कैसी तबाही मचा रखी है….. आधी दुनिया पागल और आधी शायर बना रखी है

मेरी नस-नस में तेरा ही इश्क़ बहता है, अगर है नहीं यकीन तो खुद से पूछ ले, तेरा दिल क्या कहता है

सौ दर्द हैं मुहब्बत में बस एक राहत तुम हो नफरतें बहुत हैं जहां में बस एक चाहत तुम हो

तुम्हारी रूह के साथ रिश्ता जुड़ गया है मेरा, रब करे जन्मों जन्म तक यूं ही साथ रहे तेरा मेरा

मुझे नशा है, तुझे याद करने का… और ये नशा, मैं सरेआम करता हूं