“कोई भी अपने लिये आलसी होने की और मुर्ख होने की योजना नही बनाता। ये सारी चीजे तो तभी होती है जब आपके पास कोई योजना नही होती है।

जिन्दगी खुद को ढुंढने में नही बल्कि जिन्दगी तो खुद को बनाने में है

दुर्जनों के साथ भलाई करना सज्जनों के साथ बुराई करने के समान है।

“मंजिलें मिले ना मिले ये तो मुद्दर की बात है, लेकिन अगर हम कोशिश भी नहीं करें, ये तो बिल्कुल गलत बात है।