छू जाते हो कितनी दफा तुम ख़्वाब बनकर, कौन कहता है दूर रहकर मुलाकातें नही होती
मेरे होंठो पर लफ्ज़ भी अब तेरी तलब लेकर आते हैं, तेरे जिक्र से महकते हैं तेरे सजदे में बिखर जाते हैं
सूख गए फूल पर बहार वही है, दूर रहते हैं पर प्यार वही है जानते हैं हम मिल नही पा रहे हैं आपसे मगर इन आंखों में मोहब्ब्त का इंतजार वही है
कभी ये मत सोचना कि याद नही करते हम रात की आखिरी और सुबह की पहली सोच हो तुम
तू रूठी रूठी सी लगती है, कोई तरकीब बता मनाने की, मै जिन्दगी गिरवी रख दूंगा, तू कीमत बता मुस्कुराने की
जो हमारी छोटी छोटी बातों पर गुस्सा करते हैं.. बस वही हमारी सबसे ज्यादा फिकर करते हैं