जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने ही ऊपर झेल लेता है, वह दूसरों के क्रोध से बच जाता है।

भलाई करना कर्तव्य नहीं, आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख की वृद्धी करता है।

प्रत्येक कार्य अपने समय पर होता है, जैसे पौधों में फूल और फल अपने समय पर आते हैं।”

अज्ञानी होना उतनी शर्म की बात नहीं हैं, जितना की सीखने की इच्छा ना रखना