Vande Mataram प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हालिया संबोधन में ‘वंदे मातरम’ की ऐतिहासिक गूंज और राष्ट्रीय आंदोलन में उसकी भूमिका को विशेष रूप से रेखांकित किया। Vande Mataram उन्होंने कहा कि “लाखों लोगों ने वंदे मातरम का नारा लगाया, इसलिए हम आज यहां हैं।” उनके इस वक्तव्य ने देशभक्ति, राष्ट्र निर्माण और सार्वजनिक भागीदारी की महत्ता पर फिर से चर्चा शुरू कर दी है।
यह भाषण भावनात्मक, प्रेरणादायक और देश की युवा पीढ़ी के लिए संदेशों से भरपूर रहा। आइए जानते हैं संबोधन की मुख्य बातें।
Vande Mataram‘वंदे मातरम’ की ऐतिहासिक गूंज—प्रधानमंत्री ने क्यों किया ज़िक्र?

PM मोदी ने कहा कि
“वंदे मातरम सिर्फ एक नारा नहीं था, यह आज़ादी के संघर्ष की आत्मा थी।”
उन्होंने याद दिलाया कि कैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने इसी नारे के साथ कठिन परिस्थितियों का सामना किया और देश को आज़ाद कराने के लिए संघर्ष किया।
प्रधानमंत्री का संदेश था कि आज के भारत को भी उसी सामूहिक भावना और एकता की जरूरत है।
‘लाखों लोगों की आवाज़ से देश मजबूत हुआ’—क्या कहा प्रधानमंत्री ने?
अपने संबोधन में PM मोदी ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी राष्ट्र की शक्ति केवल नीतियों में नहीं, बल्कि जनता की भागीदारी में होती है।
उन्होंने कहा कि लाखों भारतीयों ने जब “वंदे मातरम” का नारा लगाया, तभी देश में एक नई ऊर्जा और एकजुटता का संचार हुआ।
इस संदेश के जरिए प्रधानमंत्री ने संकेत दिया कि जनशक्ति ही राष्ट्रनिर्माण की वास्तविक शक्ति है।
संबोधन के प्रमुख बिंदु—विकास, प्रेरणा और राष्ट्रीय एकता
PM मोदी का भाषण कई मुख्य विषयों पर केंद्रित रहा, जिनमें शामिल थे:
- राष्ट्र की प्रगति में सामूहिक प्रयासों की भूमिका
- इतिहास से मिली प्रेरणा को वर्तमान में लागू करने की आवश्यकता
- युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी और योगदान
- देश को भविष्य के लक्ष्यों के लिए सशक्त बनाना
🇮🇳 स्वतंत्रता संग्राम में ‘वंदे मातरम’ की भूमिका पर PM मोदी की टिप्पणी
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ एक गीत नहीं रहा,
बल्कि यह वह भावनात्मक शक्ति थी जिसने आंदोलनकारियों का मनोबल बढ़ाया।
उन्होंने यह भी कहा कि आज जब भारत 21वीं सदी में नई ऊँचाइयों की ओर बढ़ रहा है, तब भी यह भावना महत्वपूर्ण है।
युवा पीढ़ी के लिए संदेश—देशभक्ति और जिम्मेदारी पर जोर
PM मोदी ने देश के युवाओं को विशेष रूप से संबोधित करते हुए कहा कि आज का भारत अवसरों का भारत है, और युवाओं को अपनी ऊर्जा देश के विकास में लगानी चाहिए।
उन्होंने आत्मनिर्भरता, नवाचार और सामाजिक जागरूकता को युवाओं की बड़ी शक्ति बताया।
कार्यक्रम के दौरान माहौल और जनता की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान ‘वंदे मातरम’ की गूंज और भी तेज सुनाई दी।
कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने प्रधानमंत्री के संदेश का समर्थन करते हुए उत्साह व्यक्त किया।
सोशल मीडिया पर भी भाषण के कई अंश तेजी से साझा किए गए।
निष्कर्ष
PM मोदी का यह संबोधन देश के इतिहास, आज की जरूरतों
और भविष्य की दिशा—तीनों को एक साथ जोड़ता है।
उनके संदेश का सार यही था कि एकजुट भारत, सशक्त भारत की
नींव आम लोगों की सहभागिता से ही रखी जा सकती है।
“वंदे मातरम” की ऐतिहासिक गूंज को वर्तमान से जोड़ते हुए
प्रधानमंत्री ने एक बार फिर राष्ट्रनिर्माण के सामूहिक संकल्प पर जोर दिया।











