Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश जी को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस दिन श्रद्धालु गणपति बप्पा की पूजा कर विघ्नों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है, जो किसी बाधा या संकट से परेशान हैं। यह व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है, लेकिन साल में एक बार आने वाली “अंगारकी संकष्टी चतुर्थी” का विशेष महत्व होता है। इस लेख में हम संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।

📅 संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथियाँ और चंद्रोदय समय
साल 2025 में संकष्टी चतुर्थी के व्रत की पूरी सूची निम्नलिखित है:
महीना | तिथि | चंद्रोदय समय |
---|---|---|
जनवरी | 17 जनवरी 2025 | रात 08:53 बजे |
फरवरी | 16 फरवरी 2025 | रात 09:38 बजे |
मार्च | 17 मार्च 2025 | रात 10:21 बजे |
अप्रैल | 16 अप्रैल 2025 | रात 10:59 बजे |
मई | 16 मई 2025 | रात 11:33 बजे |
जून | 14 जून 2025 | रात 11:59 बजे |
जुलाई | 14 जुलाई 2025 | रात 12:21 बजे |
अगस्त | 12 अगस्त 2025 | रात 12:41 बजे |
सितंबर | 10 सितंबर 2025 | रात 12:58 बजे |
अक्टूबर | 10 अक्टूबर 2025 | रात 01:14 बजे |
नवंबर | 08 नवंबर 2025 | रात 01:31 बजे |
दिसंबर | 07 दिसंबर 2025 | रात 01:49 बजे |
📌 अंगारकी संकष्टी चतुर्थी 2025 – 16 फरवरी 2025 (इसका विशेष महत्व होता है)
🚩 संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व
संकष्टी चतुर्थी को गणपति बप्पा का प्रिय दिन माना जाता है।
इस दिन किए गए उपवास और पूजा से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
🔹 धार्मिक मान्यता
- भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं, इसलिए इस दिन की गई पूजा से सभी बाधाओं का नाश होता है।
- पुत्र प्राप्ति और संतान सुख के लिए यह व्रत विशेष लाभकारी होता है।
- जो लोग शिक्षा, करियर या बिजनेस में सफलता चाहते हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत शुभ होता है।
- पारिवारिक सुख और समृद्धि के लिए इस व्रत का पालन करना बेहद फलदायी होता है।
🙏 संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि
प्रातःकाल की तैयारी
सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र स्नान करें।
गणपति बप्पा की प्रतिमा को लाल वस्त्र में स्थापित करें।
व्रत और पूजा का संकल्प लें।
पूजा विधि
- गणपति बप्पा को लड्डू, मोदक, दूर्वा, गंगाजल, चंदन और फूल अर्पित करें।
- भगवान गणेश के 108 नामों का जाप करें।
- गणेश मंत्र – “ॐ गं गणपतये नमः” का 108 बार जाप करें।
- श्री गणेश चालीसा और गणेश स्तुति का पाठ करें।
चंद्रोदय के समय पूजन और अर्घ्य
रात्रि में चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें।
इसके बाद ही व्रत का पारण करें और भोजन ग्रहण करें।
संकष्टी चतुर्थी पर क्या खाएँ और क्या न खाएँ?
क्या खाएँ?
- साबूदाने की खिचड़ी
- मूंगफली और गुड़
- फलों का सेवन
- सिंघाड़े और कुट्टू का आटा
क्या न खाएँ?
- लहसुन-प्याज
- मांसाहार और शराब
- तामसिक भोजन
संकष्टी चतुर्थी पर शुभ संदेश और शुभकामनाएँ
🪔 “गणपति बप्पा की कृपा से आपके जीवन के सभी संकट दूर हों, सुख-समृद्धि बनी रहे। संकष्टी चतुर्थी की शुभकामनाएँ!” 🙏
🌺 “भगवान गणेश की कृपा से आपके सभी कार्य सिद्ध हों और जीवन में खुशियाँ आएँ। संकष्टी चतुर्थी मंगलमय हो!” 🌟
🚩 “गणपति बप्पा मोरया! आपकी हर मनोकामना पूरी हो और जीवन में सफलता मिले। संकष्टी चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ!” 🚩
🔚 निष्कर्ष
संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश जी की पूजा और व्रत का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है।
यह व्रत संकटों को हरने वाला और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला होता है।
गणेश जी की आराधना से जीवन में सभी प्रकार की बाधाएँ समाप्त होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
यदि आप भी इस व्रत का पालन करते हैं, तो भगवान गणेश जी की कृपा से आपके जीवन में शुभ फल अवश्य मिलेंगे।
🚩 गणपति बप्पा मोरया! 🚩