Sad Shayari in Hindi: दिल की गहराइयों को छूने वाली शायरी
January 12, 2025 2025-01-12 9:26Sad Shayari in Hindi: दिल की गहराइयों को छूने वाली शायरी
Sad Shayari in Hindi: दिल की गहराइयों को छूने वाली शायरी
Sad Shayari in Hindi: का यह संग्रह आपके टूटे दिल की गहराइयों को छूने और भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करेगा।
#Sad Shayari in Hindi: टूटे दिल के जज़्बातों का अनमोल खजाना

तेरे बदलने का दुख नहीं है मुझको,
मैं तो अपने यकीन पर शर्मिंदा हूं

बेपनाह मोहब्बत का आख़िरी पड़ाव
इक लंबी सी ख़ामोशी

तु जीत कर रो पड़ेगा
हम तुझसे ऐसे हारेंगे

कुछ तारीखें,
ज़ख्म ताजा कर देती हैं

थोड़ा और समझदार होने के लिए
थोड़ा और अकेला होना पड़ता है

जिसने हालात पी लिये हो
वो फिर जहर से नही डरता

किसी पर मरने से, शुरू होती है मोहब्ब्त
इश्क़ जिंदा लोगों के बस की बात नहीं

हम कहाँ किसी के लिए खास हैं,
ये तो हमारे दिल का अंधविश्वास हैं

जो सोचा सब वैसा ही, होने लगे तो
जिंदगी और ख्वाब में, फर्क क्या रह जाएगा

हम उनकी याद में है
जिन्हे हम याद नही हैं

तुम क्या गए कि, वक़्त का अहसास मर गया,
रातों को जागते रहे, और दिन को सो गए।

बहुत अजीब हैं, तेरे बाद की, ये बरसातें भी,
हम अक्सर बन्द कमरे में, भीग जाते हैं।

कितने अज़ीब लोग हैं?
बात पकड़ कर इंसान छोड़ देते हैं।

शायद बहुत जान लिया उन्होंने हमें,
यही वजह थी, कि हम बुरे लगने लगे उन्हें
Sad Shayari in Hindi: दर्द भरे लम्हों के लिए बेहतरीन कलेक्शन

मेरी फितरत में खामोशी नहीं है..,
मैं एक हंगामा हूँ, जो बोल पड़ता है

हमें अहमियत नहीं दी गई
और हम, जान तक दे रहे थे

जिसका मिलना किस्मत में नहीं होती
उससे मोहब्बत भी बेइंतहा होती हैं

नजरों से जो उतर गए
क्या फर्क पढ़ता है, वो कहां गए

किसी ने खूब कहा हैं,
मोहब्बत नहीं जनाब,यादे रुलाती हैं

सच्चा प्यार केवल दो,पल के लिए ही होता हैं,
पर जख्म सालों के,लिए दे जाता हैं

जब दर्द खुद को ही सहना हैं,
फिर औरों को बताना क्या

आप तो मेरी जान थे,
आपकी यादे क्यो मेरी जान ले रही हैं

आज हम तरस रहे हैं तुम्हारे लिए,
कल तुम तरसोगे हमारे लिए

कभी कभी अपनो से ऐसा दर्द मिलता हैं,
आँशु तो पास होते हैं। मगर रोया नहीं जाता

जिस तरह मैंने तुझें चाहा,
कोई और चाहे तो भूल जाना मुझें

जिसने भी कहा हैं,सच ही कहा हैं,
सुकून तो, मरने के बाद ही आता हैं

इत्तिफ़ाक़ समझो या मेरे दर्द की हकीक़त,
आँख जब भी नम हुई, वजह तुम ही निकले।

बीन मोसम बारिशे हो जाती है
कभी बादलो से तो कभी आँखो से

चुपके-चुपके रात आसू बहाना याद है
हम अब तक आशिक़ी का वो जमाना याद है

मुस्कुराने की आरजू मे छुपाया जो दर्द को
अश्क हमारी आखो मे पत्थर के हो गए