Makar sankranti:फसल और आनंद का त्योहार
December 31, 2023 2023-12-31 11:14Makar sankranti:फसल और आनंद का त्योहार
Makar sankranti:फसल और आनंद का त्योहार
Introduction : Makar sankranti
मकर संक्रांति एक हिन्दू त्योहार है जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। इसे सूर्य पर्व भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य देवता का मकर राशि में स्थानांतरित होता है। मकर संक्रांति का मुख्य उत्सव उत्तर भारत में मनाया जाता है, जहां लोग पतंग उड़ाते हैं और तिल, गुड़, रेवड़ी, खिचड़ी आदि बनाकर खाते हैं।
Makar sankranti का संक्षेप में अवलोकन
मकर संक्रांति के दिन लोग सभी समस्याओं को दूर करने और नए आरंभों की शुभकामना करने का माहौल बनाते हैं। इसे दान-पुण्य का दिन माना जाता है और लोग दान और अच्छे कार्यों में लगते हैं। इस दिन महिलाएं खिचड़ी, तिल गुड़ के लड्डू, मूंगफली के लड्डू आदि बनाती हैं और इन्हें अपने दोस्तों ,रिश्तेदारों को भेजती हैं।
भारतीय सांस्कृतिक में इसका महत्व
मकर संक्रांति का महत्व भारतीय समाज में विभिन्न रूपों में प्रतिष्ठित है। इसे शुभ और पुण्यकारी माना जाता है जिसमें लोग दान-पुण्य का कार्य करते हैं । यह त्योहार किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो नई फसल की शुरुआत के साथ ही इसे अपने कृषि कार्यों का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और परंपराएँ
ऐतिहासिक रूप से, मकर संक्रांति का महत्व भारतीय कृषि से जुड़ा हुआ है, जहां इस दिन किसान नई फसल की शुरुआत करते हैं और धन्यवाद देने के लिए देवता की पूजा करते हैं। यह भूमि संरक्षण और खेती से जुड़ी मुख्य परंपराओं में से एक है,मकर संक्रांति के दिन ब्रह्मा और देवी सरस्वती की पूजा भी की जाती है।
तिथि और ज्योतिषीय महत्व
A. मकर संक्रांति की विशेष तिथि का विवरण
मकर संक्रांति की विशेष तिथि हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल बदलती है, क्योंकि यह एक सौर मासिक सागरीय मास का अंत है और सूर्य देव का उत्तरायण होता है। इस पर्व को सामान्यत: 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन कभी-कभी यह 15 जनवरी को भी पड़ सकता है।
B. सूर्य के गति से जुड़ाव
मकर संक्रांति का सूर्य के गति से कैसे संबंधित है,सूर्य का एक पूरा चक्कर करने में लगभग 365.25 दिन होते हैं। इसके कारण हमें हर साल एक बार एक अतिरिक्त दिन मिलता है, जिसे हम लीप वर्ष कहते हैं। यह दिन शनिवार को आता है जब सूर्य देव मकर राशि में होते हैं।
C. ज्योतिषीय प्रभाव और विश्वास
मकर संक्रांति के समय कुछ विशेष योग और मुहूर्त होते हैंजो ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शुभ माने जाते हैं। इस समय की अवधि में किए जाने वाले कार्यों को शुभ फल प्राप्त होता है,इसमें स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
क्षेत्रीय उत्सव
A. विभिन्न राज्यों में अद्वितीय परंपराएँ और रीतिरिवाज
- मकर संक्रांति (उत्तर भारत): उत्तर भारत के अनेक राज्यों में, इसे मकर संक्रांति या उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है। लोग पतंग उड़ाते हैं, स्नान करते हैं और दान-पुण्य के कार्य करते हैं।
- उत्तराखंड (खिचड़ी मिला): इस राज्य में, लोग खिचड़ी मिला बनाते हैं और इसे पूरे गाँव में बाँटते हैं, जिससे समृद्धि और एकता का संदेश मिलता है।
C. इस त्योहार के साथ जुड़े रसोईये आनंद
- तिलगुड़ की मिठाईऔर खिचड़ी : तिल और गुड़ की मिठाई, गुड़, तिल, गुड़ादी, और आपकी प्राथमिक चयन के अन्य सामग्रीयों से बनती है। और खिचड़ी, इसमें चावल, दाल, गहूं, तिल, और मसालों का स्वाद आता है।
पतंग उड़ाने की परंपरा
A. पतंग उड़ाने की परंपरा का उत्पत्ति
ऐतिहासिक रूप से, पतंग उड़ाने का प्रथम उल्लेख चीनी साहित्य में मिलता है, जहां कागज पर बनी पतंगों का जिक्र किया गया है जिन्हें बच्चे उड़ाते थे। यह चीनी परंपरा बाद में विभिन्न क्षेत्रों में फैली।पतंग उड़ाने की परंपरा समृद्धि, शिक्षा, और मनोरंजन के लिए एक महत्वपूर्ण गतिविधि बन गया है
B. इस दिन पतंग उड़ाने के पीछे संकेत क्या है ?
पतंग उड़ाने की परंपरा से जुड़े कई संकेत हैं जो हवा में स्वतंत्रता और उड़ान की अद्भुतता को संकेतित करते हैं।कुछ समुदायों में, पतंग उड़ाने को आत्म-विकास और आत्म-निरीक्षण का माध्यम माना जाता है।
C. पतंग उड़ाने का सोशल बॉन्डिंग और समुदाय संगठन पर कैसा प्रभाव होता है ?
सामाजिक बॉन्डिंग और समुदाय संगठन समृद्धि, समरसता, और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने वाले महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं हैं।सामाजिक बॉन्डिंग उसे परिवार , दोस्केतों और सगे – संबंधियों सदस्यों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में मदद करती है।
सांस्कृतिक महत्व
A. धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में मकर संक्रांति कैसे उल्लिखित है ?
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव ने अपने पुत्र शनि देव के साथ मिलकर मकर राशि में प्रवेश किया था। इस दिन को संस्कृत में “उत्तरायण” कहा जाता है और इस दिन से सूर्य का उत्तरायण आरंभ होता है,और दक्षिणायन समाप्त होता है जिससे दिन की लम्बाई बढ़ने लगती है।
B. कला, संगीत, और नृत्य पर कैसा प्रभाव है
विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में मकर संक्रांति पर लोग अपने घरों को सजाने के लिए रंगोली बनाते हैं जो एक प्रकार की कला है। इसमें चित्रकला का भी प्रदर्शन किया जाता है, कथक और भारतनाट्यम जैसे क्लासिक नृत्य भी मकर संक्रांति पर आयोजित होता है भजन, कीर्तन, और आरती इस दिन सुनी जाती हैं ।
C. इस त्योहार के साथ जुड़ी किस्से और कहानियां
सूर्य देव की कथा:
एक प्राचीन कथा के अनुसार, सूर्य देव अपने पुत्र शनि को मिलने के लिए मकर संक्रांति पर पृथ्वी पर आते हैं। क्या इस दिन को सूर्य देव और शनि देव के मिलन का दिन माना जाता है।
भीष्म पितामह का देहवासन:
महाभारत के अनुसार, भीष्म पितामह ने अपनी इच्छा अनुसर अपने देह को उत्तरायण में त्याग दिया था। उनका इस दिन देहासन हुआ था. इसलिए, मकर संक्रांति को “भीष्म अष्टमी” भी कहा जाता है।
गंगाजी का आवाहन:
स्कंद पुराण के अनुसार, मकर संक्रांति को गंगा मां का आवाहन दिन मना जाता है। राजा सागर के पुत्र भगीरथ ने तपस्या कर गंगा माँ को पृथ्वी पर लाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की थी। उसकी तपस्या के फलस्वरुप, गंगा माँ ने अपने जल को पृथ्वी पर भेजना शुरू किया था।
Makar sankranti और कृषि
मकर संक्रांति के बाद, भारत में हरित कृषि का समय शुरू होता है। इस समय में खेतों में अनेक प्रकार की फसलें बोई जाती हैं, जैसे कि गेहूं, चावल, और सरसों। किसान इस समय में अच्छे और सुस्तीपूर्ण मौसम का लाभ उठाते हैं।
Moral
इस प्रकार, मकर संक्रांति समाज में नैतिकता, आत्म-समर्पण, और सामरस्य की भावना को बढ़ावा देता है और व्यक्तियों को समृद्धि और समर्थन के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।