Arunachalam Temple: तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर पर्वत के तल पर स्थित है और यहाँ की विशेषता भगवान शिव का ‘अरण्येश्वर’ रूप है। अरुणाचलम पर्वत को शिव की पवित्र भूमि माना जाता है, जहाँ श्रद्धालु ‘प्रदक्षिणा’ करने आते हैं। इस मंदिर का महत्व विशेष रूप से ‘अन्नामलयार’ के रूप में शिव के दर्शन करने के कारण है, और यह शक्ति, भक्ति और साधना का केंद्र है।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});अरुणाचलम मंदिर – रहस्य, इतिहास और आध्यात्मिक महत्व

अरुणाचलम मंदिर का परिचय
#अरुणाचलम मंदिर भारत के तमिलनाडु राज्य के तिरुवण्णामलाई में स्थित एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है।
इसे अनादि काल से एक पवित्र स्थान माना जाता है।
इस मंदिर की महिमा और ऐतिहासिक महत्व इसे दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनाते हैं।
अरुणाचलम मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों में किया गया है।
माना जाता है कि यह मंदिर 9वीं शताब्दी में चोल राजाओं द्वारा बनाया गया था।
बाद में पल्लव, विजयनगर और नायक वंशों ने इसे पुनर्निर्मित किया।
इस मंदिर की स्थापत्य कला और भव्यता इसे दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक बनाती है।
भगवान अरुणाचलेश्वर की महिमा
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिन्हें यहाँ अरुणाचलेश्वर या अग्नि लिंग के रूप में पूजा जाता है।
पंचभूत स्तलों में से यह अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।
मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गिरिवलम – एक अनूठी परंपरा
अरुणाचलम मंदिर की परिक्रमा, जिसे गिरिवलम कहा जाता है,
अत्यंत पवित्र मानी जाती है।
हर पूर्णिमा के दिन लाखों श्रद्धालु 14 किलोमीटर की इस पदयात्रा में भाग लेते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस परिक्रमा से जीवन की सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
दीपम उत्सव – भव्यतम आयोजन
हर साल कार्तिगई दीपम पर्व पर मंदिर के ऊपर स्थित पहाड़ी पर एक विशाल दीप प्रज्वलित किया जाता है।
इस दीप को देखने मात्र से भक्तों को शिव कृपा प्राप्त होती है।
यह पर्व तिरुवण्णामलाई का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन होता है।
मंदिर की वास्तुकला
इस मंदिर का गोपुरम (मुख्य प्रवेश द्वार) 66 मीटर ऊँचा है,
जो दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है।
यहाँ कई विशाल मंडप, नक्काशीदार स्तंभ और सुंदर मूर्तियाँ देखने को मिलती हैं।
कैसे पहुँचें अरुणाचलम मंदिर?
तिरुवण्णामलाई रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
नजदीकी हवाई अड्डा चेन्नई है, जो यहाँ से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
निष्कर्ष
अरुणाचलम मंदिर सिर्फ एक तीर्थ स्थल ही नहीं,
बल्कि आत्मज्ञान प्राप्त करने का स्थान भी है।
जो भी भक्त सच्चे मन से यहाँ आता है,
उसे शिव कृपा और आध्यात्मिक शांति की अनुभूति होती है।
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