दिल को चोट पहुँचाने वाली शायरी: सच्चे दर्द का एहसास
November 19, 2024 2024-11-19 14:16दिल को चोट पहुँचाने वाली शायरी: सच्चे दर्द का एहसास
दिल को चोट पहुँचाने वाली शायरी: सच्चे दर्द का एहसास
दिल को चोट दिल को चोट पहुँचाने वाली शायरी का हर एक शब्द आपके दिल को छू जाएगा। दर्द भरी शायरी का आनंद लें!
#दिल को चोट पहुँचाने वाली शायरी: दिल की गहरी बातें
साथ मांगा मिला नही खुशी मांगी मिली नही,
प्यार मांगा किस्मत में था नही,
और दर्द बिन मांगे ही मिल गया
जाने वालों को क्या पता,
यादों का बोझ कितना भारी होता है
जिस दिल पे चोट न आई कभी,
वो दर्द किसी का क्या जाने,
खुद शम्मा को मालूम नहीं,
क्यूँ जल जाते हैं परवाने
हर महफिल अब जुदाई लगती है
अब तुम्हारी यादें भी पराई लगती है
बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत की,
कोई किसी को टूट कर चाहता है,
और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है
पलकों में आंसू और दिल में दर्द सोया है
हंसने वालों को क्या पता
रोने वाला किस कदर रोया है
दर्दे दिल की आह तुम ना समझोगे कभी,
हर दर्द का मातम सरेआम नहीं होता
दर्द मुझको ढूंढ लेता है रोज
नए बहाने से वो हो गया है वाकिफ मेरे
हर ठिकाने से
ना शौक दीदार का ना फ़िक्र जुदाई की
बड़े खुश नसीब हैं वो लोग
जो महोबत नहीं करते
मेरे तो दर्द भी औरों के काम आते हैं,
मैं रो पडू तो कई लोग मुस्कुराते हैं
ज़ख्म तो आज भी ताज़ा है बस वो निशान चला गया
इश्क तो आज भी बेपनाह है बस वो इंसान चला गया।
कभी दर्द है तो दवा नहीं जो दवा मिली तो शिफा नहीं।
वो ज़ुल्म करते हैं इस तरह जैसे मेरा कोई खुदा नहीं
इतना रोया मेरी मौत पर मुझे जगाने के लिए मैं
मरता ही क्यों अगर वह रो देता मुझे पाने के लिए
दिल को चोट पहुँचाने वाली शायरी
तेरा होकर भी मैं तनहा ही रहा मुझे तन्हाइयों की आदत हो गयी
सोच तेरे नाम पर मिट जाने वाले को क्यों तेरे ही नाम से नफरत हो गयी
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
ये सोचकर की कोई अपना होता तो रोने ना देता
जरा सी गलतफहमी पर न छोड़ो किसी अपने का दामन
क्योंकि जिंदगी बीत जाती है किसी को अपना बनाने में
आँसू भी आते हैं और दर्द भी छुपाना पड़ता है
ये जिंदगी है साहब यहां
जबरदस्ती भी मुस्कुराना पड़ता है
अदाएं कातिल होती हैं आँखें नशीली होती हैं,
मोहब्बत में अक्सर होंठ सूखे होते हैं
और आँखे गीली होती हैं
जहर की भी जरुरत नहीं पड़ी
हमें मारने के लिए, तुम्हारे ऐसे
बर्ताव ने ही हमें मार डाला
दुआ करना दम भी उसी
दिन निकले जिस दिन तेरे दिल से हम निकले
आधा ख्वाब आधा इश्क़ आधी
सी है बंदगी मेरे हो पर मेरे नही कैसी है ये जिंदगी
अगर खुदा ने पूछा तो कह देंगे, हुई थी
मोहब्बत, मगर जिससे हुई
हम उसके काबिल न थे
मुझे बहुत प्यारी है तुम्हारी दी
हुई हर एक निशानी,
अब चाहे वो दिल का दर्द हो या
आँखों का पानी
अपना बनाकर फिर कुछ दिन में
बेगाना बना दिया,
भर गया दिल हमसे तो मजबूरी
का बहाना बना दिया
ना मेरा दिल बुरा था
ना उसमे कोई बुराई थी
बस नसीब का खेल है,
क्योंकि किस्मत में जुदाई थी