Makar sankranti 2024
December 25, 2023 2023-12-25 13:18Makar sankranti 2024
Makar sankranti 2024
introduction: Makar sankranti
मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी यानी आज मनाया जा रहा है। दरअसल, सूर्य 14 जनवरी शनिवार की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी रविवार को मनाया जा रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रात के समय स्नान दान नहीं किया जा सकता।
मकर संक्रांति के बारे में कैसे लिखें?
भारतीय हिन्दू पंचांग में मकर राशि में सूर्य का स्थानांतरण का दिन है जो हर साल 14 जनवरी को पड़ता है। यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो विभिन्न भागों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है, जैसे कि मकर संक्रांति, पोंगल, उत्तरायण, लोहड़ी, भोगाली बिहु, माघ बिहु, सुंडरबन, तिल संक्रांति, खिचड़ी, तुषु, माघी, माघ संक्रांति आदि।
मकर संक्रांति किसकी याद में मनाई जाती है?
साल के पहले महीने जनवरी में मनाई जाती है और इसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का संकेत माना जाता है। इसे हिन्दी पंचांग में ‘मकर संक्रांति’ के नाम से जाना जाता है, जो कि हिन्दू कैलेंडर के अनुसार होता है। यह एक हिन्दू त्योहार है जो सूर्य की उत्तरायण में मनाया जाता है, जिससे दिन लम्बा होता है और रात छोटी होती है।
मकर संक्रांति का त्योहार हमें क्या संदेश देता है?
भारतीय कैलेंडर में माघ महीने का आगमन स्वीकार किया जाता है। यह एक हिन्दू त्योहार है जिसे विभिन्न भागों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, लेकिन इसका सामान्य उद्देश्य सूर्य के उत्तरायण की सूचना करना है।मकर संक्रांति का इतिहास अत्यंत रोचक है। इसे प्राचीन काल से ही मनाया जाता आया है और इसमें समाज के एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का संकेत है।
मकर संक्रांति का दूसरा नाम क्या है?
जिसे उत्तर भारतीय क्षेत्र में उत्तरायण संक्रांति भी कहा जाता है,
मकर संक्रांति मनाने के पीछे क्या कहानी है?
जो हिन्दू पंचांग में मकर राशि में सूर्य के संक्रमण को मनाई जाती है, एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है। इस त्योहार के पीछे कई कहानियाँ और मान्यताएँ हैं।
भीष्म पितामह की महत्वपूर्ण भूमिका
एक प्रमुख कथा के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भीष्म पितामह अपनी शरीर छोड़कर स्वर्ग को प्राप्त हुए थे। भीष्म पितामह ने महाभारत के युद्ध में अपना जीवन दान किया और उनकी इच्छा थी कि वह सूर्य उत्तरायण के समय अपने शरीर को छोड़ें। इसलिए, मकर संक्रांति को भीष्म पंचक भी कहा जाता है और इसे पुष्य नक्षत्र के साथ जोड़ा जाता है।
गंगा सागर स्नान
एक और मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। लोग इस दिन गंगा सागर में स्नान करते हैं और अपने पूरे वर्ष के पापों से मुक्ति प्राप्त करने की कामना करते हैं।
मकर संक्रांति का इतिहास
मकर संक्रांति का त्योहार प्राचीन समय से ही मनाया जा रहा है और इसका अपना विशेष महत्व है। इसमें सूर्य का देवत्व माना जाता है और इस दिन को सूर्य उत्तरायण का समय माना जाता है, जिससे दिन की लम्बाई बढ़ती है और रात की लम्बाई कम होती है।
समापन
जो सूर्य की पूजा का मौका देता है और एक नए समय की शुरुआत को चिह्नित करता है। इस दिन को लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशी मनाते हैं और एक दूसरे को विभिन्न प्रकार की बधाईयाँ देते हैं।