26 January Kavita in Hindi: दिल छू लेने वाली कविताएँ
January 3, 2025 2025-01-03 6:0026 January Kavita in Hindi: दिल छू लेने वाली कविताएँ
26 January Kavita in Hindi: दिल छू लेने वाली कविताएँ
26 January Kavita in Hindi: गणतंत्र दिवस के अवसर पर बच्चों, छात्रों और शिक्षकों के लिए खास कविताओं का संग्रह। इन कविताओं से गणतंत्र दिवस की महत्ता और देशभक्ति की भावना को महसूस करें।
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Republic Day Kavita 1
हम आजादी के मतवाले,
झूमे सीना ताने।
हर साल मनाते उत्सव,
गणतंत्र का महजब़ जाने।
संविधान की भाषा बोले,
रग-रग में कर्तव्य घोले।
गुलामी की बेड़ियों को,
जब रावी-तट पर तोड़ा था।
उसी अवसर पर तो,
हमनें संविधान से नाता जोड़ा था।
हर साल हम उसी अवसर पर,
गणतंत्र उत्सव मनाते हैं।।
पूरा भारत झूमता रहता है,
और हम नाचते-गाते हैं।
राससीना की पहाड़ी से,
शेर-ए-भारत बिगुल बजाता है।
अपने शहीदों को करके याद,
पुनः शक्ति पा जाता है।
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Republic Day Kavita 2
देखो 26 जनवरी है आयी, गणतंत्र की सौगात है लायी।
अधिकार दिये हैं इसने अनमोल, जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध।
हर साल 26 जनवरी को होता है वार्षिक आयोजन,
लाला किले पर होता है जब प्रधानमंत्री का भाषन।
नयी उम्मीद और नये पैगाम से, करते है देश का अभिभादन,
अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन,
2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन।
सौगातो की सौगात है, गणतंत्र हमारा महान है,
आकार में विशाल है, हर सवाल का जवाब है,
संविधान इसका संचालक है, हम सब का वो पालक है,
लोकतंत्र जिसकी पहचान है, हम सबकी ये शान है,
गणतंत्र हमारा महान है, गणतंत्र हमारा महान है।
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Republic Day Short Kavita 3
माह जनवरी छब्बीस को
हम सब गणतंत्र मनाते
और तिरंगे को फहरा कर,
गीत ख़ुशी के गाते ॥
संविधान आजादी वाला,
बच्चो ! इस दिन आया।
इसने दुनिया में भारत को,
नव गणतंत्र बनाया॥
क्या करना है और क्या नहीं ?
संविधान बतलाता।
भारत में रहने वालों का,
इससे गहरा नाता
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Republic Day Kavita 4
वीरों का कैसा हो वसंत?
आ रही हिमाचल से पुकार,
है उदधि गरजता बार-बार,
प्राची, पश्चिम, भू, नभ अपार,
सब पूछ रहे हैं दिग्-दिगंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
फूली सरसों ने दिया रंग,
मधु लेकर आ पहुँचा अनंग,
वधु-वसुधा पुलकित अंग-अंग,
हैं वीर वेश में किंतु कंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
भर रही कोकिला इधर तान,
मारू बाजे पर उधर गान,
है रंग और रण का विधान,
मिलने आये हैं आदि-अंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
गलबाँहें हों, या हो कृपाण,
चल-चितवन हो, या धनुष-बाण,
हो रस-विलास या दलित-त्राण,
अब यही समस्या है दुरंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
कह दे अतीत अब मौन त्याग,
लंके, तुझमें क्यों लगी आग?
ऐ कुरुक्षेत्र! अब जाग, जाग,
बतला अपने अनुभव अनंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
हल्दी-घाटी के शिला-खंड,
ऐ दुर्ग! सिंह-गढ़ के प्रचंड,
राणा-ताना का कर घमंड,
दो जगा आज स्मृतियाँ ज्वलंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
भूषण अथवा कवि चंद नहीं,
बिजली भर दे वह छंद नहीं,
है क़लम बँधी, स्वच्छंद नहीं,
फिर हमें बतावे कौन? हंत!
वीरों का कैसा हो वसंत?
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Republic Day Kavita 5
आओ कि आया “राष्ट्र पर्व”
गणतंत्र हमारा है.!!
हिन्द देश के वासी हम
“जय हिन्द” जय घोष हमारा है..!!
हर तरफ देखो लग रहा
“जय हिन्द” का नारा है.!!
लिए तिरंगा हाथ में देश,
झूम रहा आज सारा है.!!
तीन रंगों में रंगा तिरंगा
सब रंगों से प्यारा है..!!
केसरीया देता संदेश अमन का
सुख समृद्धि देता रंग हारा है.!!
सफेद शांति लिए चक्र घूमता
संदेश इसका भाई चारा है..!!
आओ कि आया “राष्ट्र पर्व”
गणतंत्र हमारा है.!!
मातृभूमि पर आँच न आये
दृढ़ संकल्प हमारा है..!!
नमन “माँ भारती” तुझे,
दिया राष्ट्र पर्व प्यारा है.।
“जय हिन्द”