उदासी शायरी: दर्द और खामोशी का एहसास
November 19, 2024 2024-11-19 14:04उदासी शायरी: दर्द और खामोशी का एहसास
उदासी शायरी: दर्द और खामोशी का एहसास
उदासी शायरी अपने दिल की उदासी को लफ़्ज़ों में बयां करने के लिए पेश है ये बेहतरीन उदासी शायरी, जो आपके एहसासों को गहराई से छू लेगी।
गहरे जज़्बातों की आवाज़: उदासी शायरी
कभी कभी अपनो से ऐसा दर्द मिलता हैं,
आँशु तो पास होते हैं। मगर रोया नहीं जाता
ज़िंदगी में हर मौके का फायदा उठाओ,
मगर किसी के भरोसे का नहीं
जिस तरह मैंने तुझें चाहा,
कोई और चाहे तो भूल जाना मुझें
जिसने भी कहा हैं,सच ही कहा हैं,
सुकून तो, मरने के बाद ही आता हैं
आज अश्क से, आँखों में क्यों हैं आये हुए,
गुजर गया है ज़माना तुझे भुलाये हुए
कम नहीं हैं, आँसू मेरी आँखों में, मगर
रोता नहीं कि, उनमें उसकी तस्वीर दिखती है
इत्तिफ़ाक़ समझो या मेरे दर्द की हकीक़त,
आँख जब भी नम हुई, वजह तुम ही निकले।
बीन मोसम बारिशे हो जाती है
कभी बादलो से तो कभी आँखो से
चुपके-चुपके रात आसू बहाना याद है
हम अब तक आशिक़ी का वो जमाना याद है
मुस्कुराने की आरजू मे छुपाया जो दर्द को
अश्क हमारी आखो मे पत्थर के हो गए
बह जाती काश यादें भी,, आँसुओ के साथ
एक दिन हम भी रो लेते तसल्ली से बैठकर
मुस्काती आँखो मे अक्सर
देखे हम ने रोते ख्वाब
खामोशियां कभी बेवजह नही होती,
कुछ दर्द आवाज छीन लिया करते हैं।
शाम की उदासी में यादों का मेला है,
भीड़ तो बहोत है पर मन अकेला है
कहने को तो आंसू अपने होते हैं,
पर देता कोई और ही है।
मिट जाते हैं औरों को मिटाने वाले,
लाश कहाँ रोती है, रोते हैं जलाने वाले
दिल को छूने वाली उदासी शायरी की बेहतरीन कलेक्शन
खो देते हैं फिर खोजा करते हैं
यही खेल हम जिंदगी भर खेला करते हैं।
एक अदा से शुरू एक अंदाज़ पर खत्म होती है
नज़र से शुरू हुई मोहब्बत नज़र अंदाज पर खत्म होती है
बदल जाते हैं वो लोग वक्त की तरह
जिन्हें हद से ज्यादा वक्त दिया जाए
न जाहिर हुई तुमसे न बयां हुई हमसे
बस सुलझी हुई मोहब्बत
आँखों में ही उलझी रही।
दिल का दर्द आँखों से बयान होता है,
ज़रूरी नही के हर ज़ख्म का निशान होता है
दर्द सहते सहते एक लम्हे के बाद दर्द भी बेअसर हो जाता है,
फिर कोई पश्चात, कोई माफी की गुंजाइश नही रहती
लोग शोर से जाग जाते हैं साहब
हमें एक इंसान की खामोशी सोने नही देती
दिल चाहे कितना भी तकलीफ में हो,
तकलीफ़ देने वाला दिल में ही रहता है।
इतने बुरे तो नही थे हम
जितना इल्जाम लगाया लोगों ने,
कुछ किस्मत खराब थी,
कुछ आग लगाई लोगों ने