माघ मेला प्रयागराज हिन्दू ठेका प्रयागराज माघ मेला 2026 में ठेका संकट गहराता जा रहा है, जहां संतों ने साफ शब्दों में कहा कि हिंदू परंपरा में गैर सनातनी की दखल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि मेला क्षेत्र में केवल हिंदू ठेकेदारों को ही कार्य सौंपा जाए ताकि धार्मिक पवित्रता बनी रहे।
माघ मेला प्रयागराज हिन्दू ठेका माघ मेले में गैर सनातनी ठेकेदारों की अनुमति पर संतों का विरोध, प्रयागराज माघ मेला में धार्मिक पवित्रता और हिंदू परंपरा की रक्षा की मांग
अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम ने कहा है कि माघ मेला एक पवित्र धार्मिक आयोजन है, जिसमें केवल वे लोग काम करें जो सनातन धर्म की परंपराओं और भावनाओं का सम्मान करें। उन्होंने मक्का की तर्ज़ पर संगम क्षेत्र में भी गैर सनातनी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगाने की आवश्यकता बताई। संतों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग न मानी गई तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।
प्रयागराज माघ मेले में गैर सनातनी ठेकेदार विरोध – समस्या की जड़ क्या है

माघ मेला सनातन धर्म का पवित्र आयोजन है, जहां केवल सनातन धर्मावलंबी ठेकेदारों को काम देने की मांग की जाती है। गैर सनातनी ठेकेदारों को लेकर संतों में गहरा विरोध है क्योंकि उनका मानना है कि वे सेवा भावना से काम नहीं करते और मेला की पवित्रता को नुकसान पहुंचाते हैं। इस ब्लॉग में विवाद की मूल वजह, संतों की भावनाएं और मुद्दे की गंभीरता का विश्लेषण किया गया है।
संतों का संदेश – माघ मेले में केवल हिंदू ठेकेदारों को मिले काम
संतों ने प्रशासन से स्पष्ट कहा है कि माघ मेले में केवल हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्मावलंबी ठेकेदारों को ही अधिकार मिलना चाहिए। गैर सनातनी ठेकेदार धार्मिक परंपराओं का सम्मान नहीं करते और वे मेले की पवित्रता को प्रभावित करते हैं। इस पोस्ट में संतों के प्रमुख बयानों और मांगों को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।
माघ मेले की धार्मिक पवित्रता और गैर सनातनी ठेकेदारों का विरोध
यह ब्लॉग माघ मेले की धार्मिक पवित्रता की अहमियत बताता है और क्यों संत इस पवित्र आयोजन में गैर सनातनी ठेकेदारों की मौजूदगी को बर्दाश्त नहीं करते। मक्का में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक के उदाहरण से समझाया गया है कि धार्मिक स्थलों और आयोजनों में पवित्रता कैसे बनाए रखी जाती है।
प्रशासन की भूमिका और संतों की चेतावनी
माघ मेला आयोजन में प्रशासन को संतों की मांगों का सम्मान करना होगा व सतर्क रहना होगा।
अगर गैर सनातनी ठेकेदारों को अनुमति दी गई तो संत आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
इस पोस्ट में प्रशासन की जिम्मेदारियों और संतों की चेतावनी को बताया गया है।
माघ मेला 2026 की तैयारियां और बजट
यह पोस्ट माघ मेला 2026 के आयोजन की तैयारियों, बजट और प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर केंद्रित है।
बजट 42 करोड़ रुपये स्वीकृत हुआ है
और मेले को मज़बूती से आयोजित करने की तैयारी की जा रही है।
संतों की मांगों को लेकर प्रशासन में सख्ती बढ़ाने की संभावना पर भी चर्चा है।
सामाजिक-सांस्कृतिक पहलू – माघ मेले में गैर सनातनी ठेकेदार विवाद का प्रभाव
इस ब्लॉग में माघ मेले में गैर सनातनी ठेकेदारों की अनुमति के विवाद से
उपजे सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। यह चर्चा करता है
कि इस तरह के विवाद स्थानीय धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यावरण को कैसे प्रभावित करते हैं।
माघ मेला – आस्था, सेवा, और सनातन परंपरा का पर्व
माघ मेला केवल एक धार्मिक मेला नहीं, बल्कि सनातन धर्म की आस्था, सेवा और परंपरा की प्रतीक है।
इस पोस्ट में संतों की मांगों को ध्यान में रखते हुए बताया गया है
कि कैसे माघ मेले की पवित्रता बनाए रखने के लिए
केवल सनातनी ठेकेदारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।









