माघ मेला 2026 साधु संत विवाद माघ मेला 2026 में साधु-संतों ने ठेका विवाद खड़ा किया, कहा केवल सनातनी ठेकेदारों को काम करने दें, गैर सनातनी हटाएं, मेला पवित्रता का प्रतीक.
माघ मेला 2026 साधु संत विवाद संतों का मक्का का उदाहरण और सनातन धर्म की पवित्रता की बात
#माघ मेला 2026 को लेकर साधु-संतों ने ठेका विवाद और मेला क्षेत्र में गैर सनातनी ठेकेदारों को काम न देने की मांग को जोर-शोर से उठाया है। उन्होंने धार्मिक पवित्रता और सनातन धर्म की रक्षा का हवाला देते हुए कहा है कि माघ मेला एक पवित्र धार्मिक आयोजन है, जहां केवल सनातन धर्म के लोग ही काम करें।
माघ मेला 2026 में ठेका विवाद का कारण

माघ मेला 2026 को लेकर साधु संतों ने ठेका विवाद को लेकर जोरदार विरोध जताया है। उनका कहना है कि मेला क्षेत्र में केवल सनातनी धर्म के ठेकेदारों को ही काम करना चाहिए। गैर सनातनी ठेकेदारों में सेवा और समर्पण का भाव नहीं होता, जो माघ मेले की पवित्रता के खिलाफ है। इसलिए प्रशासन को चाहिए कि वे इस मामले में कड़ाई से कार्रवाई करें। इस विवाद ने मेला की तैयारियों को भी तनावपूर्ण बना दिया है.
गैर सनातनी ठेकेदारों को माघ मेले में काम न करने देना क्यों जरूरी
साधु संतों का मानना है कि माघ मेला एक धार्मिक और पवित्र आयोजन है, जहां केवल सनातन धर्म के अनुयायियों को ही महत्व मिलना चाहिए। गैर सनातनी ठेकेदार, खासकर जिनकी धार्मिक परंपराएं अलग हैं, मेले की शुद्धता को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए माघ मेले में उनके प्रवेश पर रोक लगाना जरूरी है। यह मांग मेला की पवित्रता बनाए रखने के लिए अहम है। संतों ने प्रशासन से इस विवाद को शीघ्र सुलझाने की अपील की है.
संतों ने मक्का का उदाहरण दिया, माघ मेला में सनातन धर्म की पवित्रता की बात
संतों ने माघ मेले में गैर सनातनी ठेकेदारों के काम करने पर रोक लगाने के लिए मक्का का उदाहरण दिया है। जैसे मक्का में केवल मुस्लिमों को प्रवेश मिलता है, वैसे ही संगम क्षेत्र में केवल सनातन धर्म के अनुयायियों का अधिकार होना चाहिए। माघ मेला धार्मिक शुद्धता का केंद्र है और इसे बनाए रखना आवश्यक है। संतों ने इसे सनातन धर्म की रक्षा और सम्मान की बात बताया है.
माघ मेला 2026 की तैयारियां और प्रशासन की भूमिका
माघ मेला 2026 की तैयारियां काफी तेज़ी से चल रही हैं। प्रशासन ने लगभग 42 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है।
मेला 3 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगा। प्रशासन ने साधु संतों की मांगों को ध्यान में रखते हुए
मेला क्षेत्र में सुरक्षा और व्यवस्था कड़ी कर दी है।
पूरे आयोजन को सफल बनाने के लिए विभिन्न विभागों के बीच समन्वय बढ़ाया जा रहा है.
साधु-संतों की चेतावनी और विरोध प्रदर्शन की संभावना
ठेका विवाद पर संतों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को नहीं माना गया तो
वे विरोध प्रदर्शन के लिए भी तैयार हैं। उनका कहना है
कि माघ मेला की पवित्रता भंग न हो इसलिए प्रशासन को उनके विचारों का सम्मान करना चाहिए।
इस विवाद ने धार्मिक और सामाजिक स्तर पर भी हलचल मचा दी है.
माघ मेला में धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक महत्व
माघ मेला केवल एक मेला नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक समागम है।
साधु संतों के अनुसार इस आयोजन में आस्था और भक्ति की सबसे बड़ी भूमिका होती है।
इसलिए मेले में कार्य करने वालों का धार्मिक और आध्यात्मिक समर्पण आवश्यक है,
जो केवल सनातनी धर्म से जुड़े लोग ही कर सकते हैं.
माघ मेला 2026 के प्रमुख स्नान पर्व और कार्यक्रम
माघ मेला 2026 में कुल 44 दिन चलने वाले प्रमुख स्नान पर्व होंगे, जिनमें पौष पूर्णिमा, मकर संक्रांति,
मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि शामिल हैं।
इस दौरान लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान कर अपनी आस्था का परिचय देंगे।
प्रशासन द्वारा आधुनिक तकनीकों की मदद से व्यवस्थाएं बेहतर बनाई जा रही हैं









